Tuesday, April 24


जब बनाया था
तब ये नहीं सोचा
की थोडा गहरा कटोरा दे दूँ

इतनी जल्दी भरता है
की छलक जाता है
इधर-उधर गिला कर देता है

किसी को बोल भी तो नहीं सकता हूँ
की थोडा पानी मेरे कटोरे से ले लो

इक तो उनके बर्तन भी कुछ खास बड़े नहीं हैं
उस पर मेरा पानी भी खरा है

No comments:

Post a Comment