ऊपर नभ से चली
कई मील दूरी तय करके
पानी की बूँदें पहुँच ही गई
चिचिलाते सुलगते मनन को छु गई हैं
वैसे तो सुइयों सी चुभती हैं
पर झुलसते मन को शीतल भी तो करती हैं
नैन में जो सपने भरे हैं
पुरे से होते दिखते हैं
आंसू की बूँदें तो अभी भी हैं
बस फर्क सिर्फ इनता हैं की अब ये खुशियाँ बयाँ कर रही हैं
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