Tuesday, April 24


आधा सा, पूरा न हो पाया...
कुछ अजीब
धुंदला सा

बहुत कोशिश कर रहा है
पर न जाने क्या होगा
पास या फेल होना तो बस इक नाटक सा है

सफल होगा तो न जाने ख़ुशी मिले न मिले
विफलता तो बस दुखी होने का इक बहाना सा है

तो इस से कैसे तारें ?
कैसे कहें की सही क्या है ?
कौन फैसला करेगा ?
मैं तो बस इंतज़ार कर रहा हूँ ...

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